पूर्वाग्रह 1 – पूर्वाग्रह क्या होता है ?

 

पूर्वाग्रह ?

इस शब्द को सुन कर पहले पहल क्या भाव आता है मन में ?


यह जो भी भावना आपके मन में आई , इस शब्द से जो भी अच्छी या बुरी छवि मन में उभरी – वह आपके मन का पूर्वाग्रह है – इस शब्द की परिभाषा को लेकर | यदि आपके मन में यह आया कि “पूर्वाग्रह का शाब्दिक अर्थ है – पूर्व + आग्रह = किसी चीज़ को देखे / समझे / तौले / जाने बिना उसके बारे में पहले ही से कोई धारणा (अच्छी या बुरी) कायम कर लेना “ तो आप “पूर्वाग्रह” से रहित होकर इस शब्द को परिभाषित कर रहे हैं | 🙂


कुछ प्रचलित सर्व ज्ञात हिंदी शब्द :


१. आम ?? …………..= फल, मीठा, पीला, रसीला …..


२. सूर्य ??……….. = रौशनी, गर्मी, दिन, जीवनस्त्रोत, ….


३. चोट लगना ?? ……….. = दर्द, तकलीफ, एक्सीडेंट, …..


४. दोस्त ??……… = ख़ुशी, बांटना , साथ, अपनापन, …..


आदि कई उदहारण हैं, जहां एक शब्द पढ़ / सुन कर हमारे मन में  कोई छवि उभर आती है | क्या यह सब छवियाँ पूर्वाग्रह हैं ? शायद हाँ, शायद नहीं | 


आम – यदि हमने देखा है, खाया है, और हम हिंदी जानते हैं ( कि आम किसे कहते हैं ) | यदि हमने इसे देखा / खाया न हो, या हम सिर्फ फ्रेंच भाषा जानते हों – तो ? क्या तब भी यह शब्द यही छवि बनाएगा ? नहीं | इसका अर्थ यह लगता है की यह जो पूर्वाग्रह (?) है हमारा कि आम एक रसीला, मीठा, पीला फल है – पहली बात तो हर बार, हर आम के लिए सही नहीं है. दूसरे, यह पूर्वाग्रह भी कोई पूर्वाग्रह नहीं है, बल्कि हमारे पुराने अनुभव के आधार पर ही बना है | लेकिन हर आम तो पीला नहीं होता न ? (लंगड़ा आम? दसहरी आम? ) न ही हर आम मीठा / रसीला ही होता है | फिर भी इस शब्द से यह छवि क्यों उभरती है पहले पहल ? यह परिभाषा कैसे बनी ? यह कैसे बदल सकती है ?


एक और उदाहरण लेती हूँ – हिंदी फिल्मों से | ५० या ६० के दशक की फिल्मों में “माँ ” शब्द क्या छवि बनाता था ? शायद एक पुरानी साडी में लिपटी हुई प्रेम की मूर्ती की ? जो अपनी सारी निजी ज़रूरतों और भावनाओं को परे कर सिर्फ बेटों (बेटियों जानते बूझते नहीं लिखा है ) के लिए जीती थी | फिर आज की फिल्मों की माँ ? वह इतनी त्यागिनी नहीं दिखाई जाते | दिखाई भी जाये -तो शायद एक्सेप्ट भी न हो | न ही उसे हमेशा साडी में दिखाया जाता है | टीवी के एडवरटाइज्मेंट्स / सीरिअल्स में भी देखें, तो २० साल पहले की माँ और अज के माँ में ज़मीन आसमान का फर्क है | यही फर्क बहू में भी है, नायक और नायिका में भी | 


तो क्या हम इस माँ, बहु, नायक, नायिका को एक्सेप्ट नहीं करते ? या उस समय वालों को ? एक जनरेशन के लिए जो नेचरल है, दूसरी के लिए नाटकीय क्यों है ? क्या यह सब पूर्वाग्रह का खेल है ? 


 

यही  बात बाकी के उदाहरणों पर भी लागू होती है – न हर शब्द का अर्थ हर बार, हर सन्दर्भ में वह होता है जो हम आमतौर पर स्वीकार करते हैं, न हर बार उससे विपरीत | इसी पूर्वाग्रह पर मैं इस शृंखला में चर्चा करूंगी | 


 

क्या अप मेरे साथ होंगे इस पूर्वाग्रह के बनने और बदलने की study में? इसके आगे फिर हमारे मानसिक पूर्वाग्रहों से आगे बात करेंगे की इलेक्ट्रोनिक्स में bias के क्या अर्थ हैं, fixed और varying bias क्या होते हैं | और neural networks में किस तरह से हमारे मानसिक पूर्वाग्रहों और decision Making के आधारों को प्रयुक्त कर के artificial intellegence बनाई जाती है – कैसे मशीन को सिखाया जाता है की वह भी हमारी ही तरह अलग अलग inputs के आधार पर निर्णय ले पाए कि किस स्थिति में क्या किया जाये | यह भी कि “पूर्वाग्रह” करना कैसे सीखती है मशीन |


आशा है इस शृंखला में आप मेरे साथ होंगे | 


Posted on December 7, 2011, in जीवन, विज्ञान. Bookmark the permalink. Leave a comment.

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